अरमा जगा दिया है......
लबों पे रखकर ये लब जो तुमने
हज़ारों अरमा जगा दिया है।
यूँ गर्म सांसों की आहटों ने
जिगर में शोला जला दिया हैं।।
मचल के तुमसे लिपट गया यूं
की जैसे आचंल नही है बस में
धड़क रहा है बेचैन दिल अब
मिलन का नगमे सुना दिया हैं
लबों पे रखकर ये लब जो तुमने
हज़ारों अरमा जगा दिया है......
थी नर्म चादर सी तेरी बाहें
सुकून आगोश मिल रहा है
लगा के सीने से तुमने मुझको
दिलों की धड़कन बढ़ा दिया है
लबों पे रखकर ये लब जो तुमने
हज़ारों अरमा जगा दिया है......
सिमट गई हूँ मैं ऐसे तुझमें
ना हो मेरा कोई जैसे मुझमें
सुनसान,वीरान थी दिल की गलियां
तुम्हीं हलचल मचा दिया हैं।।
लबों पे रखकर ये लब जो तुमने
हज़ारों अरमा जगा दिया है....
मधुरिमा