तब क्या लिखूँ ......
तब क्या लिखूँ ......

गरिमा सिंह मधुरिमा


 

जब सब खाली - खाली सा हो जब सब सुना - सुना सा हो 

लिखने को तो हो काफी कुछ  पर शब्द कलम  उलझाये 

जब लब खामोश हो पलभर को और मन बेचैन हो जाये 

 

तब क्या लिखूँ ......

 

मुस्कान सजी हो लबों पर और आंखें नम हो जाये 

जब दिल में दर्द हज़ारों हो और मुह से उफ ना आए

 तब क्या लिखूँ ......

 

जब शोर बहुत हो चिडियों का पर सन्नाटा मन भाए 

जब साँसें तो चलती हो लेकिन जान जुदा हो जाए  

 

तब क्या लिखूँ ........

 

जब बातें ही बातें हों करने को और अल्फाज़ कहीं खो जाए हो बेचैनी  चिल्लाने की आवाज कहीं खो जाए 

तब क्या लिखूँ ......

 

जब जाना दूर बहुत हो  लेकिन मन राहें भरमाए

जिसे भुला कर दूर चला था मन,याद वही बस आये

 

तब क्या लिखूँ ......

 

हो लाख विवशता कहने की पर मौन ही मन को भाए 

हो नैन प्रतीक्षारत जिसके वो क्षण भी नजर ना आए

तब क्या लिखूं!!!!!!

 

गरिमा सिंह मधुरिमा

ज्ञानपुर भदोहीं