"उलझन बेटों की"
(सास की दामाद को धमकी)
जो मेरी बेटी जरा सताई,
तुमको जेल करा दूंगी।
एक दो साल की सजा नहीं,
उम्रकैद करवा दूंगी।
जो तेरी मैया काम करेगी,
दो रोटी दिलवा दूंगी।
जो वो बने घर की मालकिन
रपट दहेज की करा दूंगी।
(विवश बेटे की पत्नी से प्राथना)
मेरी मैया ने कष्टों से पाला मुझे,
कर्ज चुका न सकूं, तो क्या फायदा।
मेरे बाबा ने फांको में पढाया मुझे,
फांके मिटा न सकूं, तो क्या फायदा।
सिक्का भी कभी तुमसे मंगाया नहीं,
बांध रूढ़ियों में, तुमको सताया नहीं।
विवाह संगम है दोनों के परिवार का,
है सम्बन्ध तुमसे मेरे घर द्वार का।
इनको अपना लो अपने मां बाप सा,
इनके मन में रहा स्नेह सदैव बेटी सा।
विकट है समस्या सुनो मेरी प्रिया,
विकल्प चुनाव का क्यों दुष्कर दिया?
छीन कैसे मैं लूं, निज सुतों की मां!
कैसे हर लूं सुत उसका,जो मेरी है मां।
रश्मि रावत।
(अध्यापिका)
गाजियाबाद