आठ फर्जी डॉक्टरों की जमानत याचिका खारिज 
आठ फर्जी डॉक्टरों की जमानत याचिका खारिज 

 

ठाणे : ठाणे कोर्ट ने गिरफ्तार आठ फर्जी चिकित्सकों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि जेल में बंद सभी आठों बोगस चिकित्स महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन के पंजीयन के बिना ही अवैध तरीके से क्लीनिक खोलकर प्रैक्टीस कर लोगों के जान से खेल रहे थे। पुलिस की छापेमारी के दौरान उनके क्लिनिक से एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाइयों का भंडारण भी मिला था। उल्लेखनीय है कि कलवा पूर्व और पश्चिम में अवैध तरीके से अस्पताल चलाने वाले बोगस चिकित्सकों के खिलाफ महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसीन के प्रबंधक दिलीप उत्तमराव दांगे ने ठाणे पुलिस की अपराध प्रकोष्ठ से शिकायत की थी। इस शिकायत के आधार पर प्रकोष्ठ की एक टीम ने छह फरवरी 2020 को कलवा में स्थित विभिन्न क्लिनिक में छापेमारी की थी।

छापेमारी के दौरान टीम ने आठ बोगस डाक्टरों को गिरफ्तार किया था। इनमें कलवा के भाष्करनगर निवासी अलोक सुभाषचंद्र सिंह, बाघोबानगर के रामजित कंचन गौतम (४७), मनीषा नगर के गोपाल बाबू विश्वास (४७), बाघोबानगर के रामतेज मोहन प्रसाद (५०), कलवा पूर्व के आनंदनगर स्थित सुभाषचंद्र राजाराम यादव (४७), पौंडपाड़ा के जयप्रकाश बालजी विश्वकर्मा (४०), कलवा स्टेशन परिसर में स्थित दीपक बाबू विश्वास (४८) और वाघोबानगर के सत्यनारायण लालमन बीड (४२) का समावेश है। गिरफ्तार सभी बोगस चिकित्सकों को सात फरवरी को कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से सभी को 11 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेजा गया था। सभी को 11 फरवरी को फिर कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने सभी को 25 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसी बीच आरोपियों ने कोर्ट में जमानत याचितका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश राजेश गुप्ता ने गुरुवार को सभी की जामानत याचिका को खारिज कर दिया है। सुनवाई के दौरान विशेष सरकारी वकील रेखा हिवराले ने दलीलें पेश की। याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधी गुप्ता ने कहा कि आरोपियों के क्लिनिक से एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाइयों का भंडारण मिला है। इसके साथ ही सभी बिना महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसीन के पंजीयन के ही प्रैक्टीस कर रहे थे। बोगस डॉक्टरों के पास से पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित इंस्ट्यूटऑफ अल्टर्नेटीव मेडिसिन का प्रमणपत्र और पंजीयन की पुष्टी की गई है।

हालांकि महाराष्ट्र काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसीन का पंजीयन नहीं है। ऐसी स्थिति में यदि इन्हें जमानत पर रिहा किया जाता है तो वे वापस अन्य स्थानों पर दवाखाना खोलकर प्रैक्टीस करने लगेंगे।