एम्स भोपाल : डाॅक्टराें ने एक बार भी अमृत फार्मेसी से इम्प्लांट लाने के लिए नहीं लिखा पर्चा
अमृत फार्मेसी की चुप्पी के चलते एम्स भोपाल में सालाें से चल रहा था यह गोरखधंधा
(एम्स Bhopal ) में बाहर एजेंट से इम्प्लांट मंगाने का काराेबार सालाें से चलता आ रहा है।
आलम यह है कि 15 जनवरी 2020 से पहले तक एम्स के किसी विभाग के डाॅक्टराें ने एक बार भी इम्प्लांट के लिए अमृत फार्मेसी काे नहीं लिखा। जबकि, अमृत फार्मेसी के साथ हुए एम्स के एग्रीमेंट में यह स्पष्ट है कि अमृत फार्मेसी डॉक्टरों की ओर से लिखे जाने वाले इम्प्लांट देने से मरीज काे इनकार नहीं कर सकता है। अगर, स्टाेर पर उलब्ध नहीं है ताे मंगवाकर उपलब्ध कराने हाेंगे।
लेकिन, जिम्मेदाराें की लापरवाही का आलम यह है कि उन्हाेंने कभी भी इस मामले काे गंभीरता से नहीं लिया कि आखिर डाॅक्टर अमृत फार्मेसी से इम्प्लांट क्याें नहीं मंगवा रहे हैं ?
एग्रीमेंट कहता है....
डॉक्टर के पर्चे पर लिखे इम्प्लांट देने से मना नहीं कर सकता अमृत फार्मेसी अनुबंध...की प्रमुख शर्तें
1. एम्स के डाॅक्टराें की तरफ से लिखीं दवाएं, सर्जिकल आईटम और इम्प्लांट अमृत फार्मेसी काे उपलब्ध कराने हाेंगे।
2.जिन दवाओं , सर्जिकल आईटम और इम्प्लांट की जरूरत हाेती है, उसका पर्चेज आर्डर एम्स अमृत फार्मेसी काे उपलब्ध कराएगा।
3.अमृत फार्मेसी काे बाजार दर से कम से कम 20 फीसदी कम दराें पर पर्चे पर दवाइयां उपलब्ध करानी हाेंगी।
जांच...
अमृत प्रबंधन, मरीज के परिजनों से की पूछताछ
डाॅक्टराें द्वारा बाहरी व्यक्ति से इम्प्लांट मंगाकर मरीज सीताराम सामरे काे लगाए जाने के मामले में जांच के दाैरान एम्स प्रबंधन ने मरीज के परिजनाें के साथ ही अमृत फार्मेसी के अधिकारियाें से भी पूछताछ की है। मरीज के अलावा उनके बेटे माेहित और पत्नी के भी बयान दर्ज किए हैं।
हालांकि, अभी तक जांच रिपाेर्ट सामने नहीं आई है।
व्यवस्था के तहत....रायपुर एम्स में अमृत सप्लाई कर रहा है इम्प्लांट
एम्स के डाॅक्टर तर्क दे रहे हैं कि पर्चे पर लिखकर देने पर भी मरीज के परिजन इम्प्लांट नहीं ला पाएंगे। इम्प्लांट में किस साइज का काैन सा स्क्रू और राॅड लगेगी, यह सर्जरी के दाैरान ही तय हाेता है। एेसे में इम्प्लांट का पूरा सेट लाना हाेता है। इम्प्लांट करने के लिए उपयाेगी मशीनें भी कंपनी की अाेर से ही दी जाती हैं। इस दाैरान कंपनी का टेक्निकल सपाेर्ट जरूरी हाेता है। यह व्यवस्था सीधे कंपनी ही कर पाती है, अमृत फार्मेसी यह सब नहीं कर पाएगी। जबकि, हकीकत यह है कि रायपुर एम्स के साथ दूसरे तमाम एम्स में अमृत फार्मेसी की ओर से ही इम्प्लांट सप्लाई किए जा रहे हैं।
जब हमारे प्रतिनिधि ने इस पूरे मामले में फ़ोन और ईमेल द्वारा जानकारी जुटाना चाही तो दिलीप मिश्रा डिप्टी मैनेजर ने कोई सार्थक जवाब नहीं दिया |
" मैं अभी छुट्टी पर बाहर हूँ अभी कोई जवाब नहीं दे सकता "
दिलीप मिश्रा, डिप्टी मैनेजर एमपी/सीजी अमृत फार्मेसी एचएलएल