बिजली पासी के जयंती पर बोले : मांझी
बिजली पासी के जयंती पर बोले : मांझी


 

 

पटना। अखिल भारतीय पासी समाज, बिहार के प्रदेष अध्यक्ष-सह- हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (से.) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में संत षिरोमणी महाराजा बिजली पासी की जयंती समारोह मनायी गयी। इस जयंती समारोह के उद्घाटनकर्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हम (से.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जीतन राम मॉंझी थे। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हम (से.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जीतन राम माँझी ने कहा कि लोग अम्बेडकर का नाम लेते हैं और उनके बताये हुए रास्ते पर चलने का शपथ लेते हैं, पर वास्तव में अम्बेडकर के विचारों को दर किनार कर मनुस्मृति एवं ब्रहम्णवादी व्यवस्था के अन्तर्गत जाति-पाती में अपने को ढाल लेते हैं। अम्बेडकर साहब ने कहा था कि हिन्दु धर्म में जन्म लेना मेरे बस की बात नही थी, पर हिन्दु धर्म में व्याप्त विसंगतियॉं है, जिसके चलते मैं हिन्दु धर्म में नहीं मरूॅंगा और उन्होंने मरने के पूर्व बौद्ध धर्म को अपना लिया था। अम्बेडकर साहब के इस संदेष को दर किनार कर अनुसूचित जाति, जनजाति भी आपस में जात-पात में बटे हुए हैं।  मॉंझी ने कहा कि अम्बेडकर साहब ने समान्य षिक्षा की वकालक की थी, जिसके अन्तर्गत 'राष्टपति का बेटा हो या भंगी का संतान, सबको षिक्षा एक सम्मान' देने की बात की थी। इस व्यवस्था के लिए 72 साल आजादी के गुजरने के बाद भी न तो कोई सरकार व्यवस्था कर सकी है और न ही कोई जन आन्दोलन हो सका हैं। इसतरह अम्बेडकरवादी विचारों को हम दर किनार कर सिर्फ व सिर्फ उनकी जन्मतिथि एवं पुण्यतिथि पर उनका नाम लेते हैं। विकास को एक ताला समझते हुए राजनीति को उन्होंने एक चाभी बताने का काम किया था और राजनीतिक लक्ष्य अनुसूचित जाति/ जनजाति को प्राप्त करने हेतु दोहरी मतदाता सूची निर्माण की वकालत अम्बेडकर साहब ने की थी। दोहरी मतदाता सूची बने इसके लिए पार्लियामेंट में आरक्षित सीटों पर चुने गये कोई सांसद और न ही विधानसभा में चुने गये आरक्षित सीट से विधायक इसकी चर्चा करते हैं। मॉंझी ने कहा कि जिसके चलते आज अनुसूचित जाति एवं जनजातियों की समाजिक, आर्थिक स्थिति में कोई विशेष फर्क नहीं आ पा रहा है। इससे समाज के लोगों को सिख लेनी चाहिए  कि उनके बताये हुए रास्ते को पाने के लिए आन्दोलनरत हो। मॉंझी ने कहा कि एनआरसी, सी.ए.ए एवं एनपीआर तीनों अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यक एवं अन्य गरीबों के हित में नहीं है। क्योंकि गरीब तबके के लोग अपने पूर्वजों का नाम, जन्मस्थान या जन्मतिथि नहीं बतला सकने की स्थिति में हैं और जो नहीं बतलायेंगे उनका नाम एन.पी.आर. में नहीं होगा और एन.पी.आर. में नाम नहीं होने से एन.आर.सी. लागू होने की स्थिति में सभी घुसपैठिये घोषित कर दिये जायेंगे, जिनको देष निकाला की सजा भी हो सकती है। मॉंझी ने उपस्थित लोगों के बीच आह्वान  किया कि किसी भी स्थिति में अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक तथा गरीब लोग इसका विरोध करें ताकि वर्तमान केन्द्र में भाजपा की सरकार की मंषा पूर्ण न हो सके। मॉझी ने पत्राकारों का सवाल का जवाब देते हुए कहा कि एनआरसी, सी.ए.ए एवं एनपीआर जो अनुसूचित जाति/जनजाति, अल्पसंख्यक एवं गरीबों के हीतों में नहीं है। इसके विरोध में जहॉं कहीं भी कोई संगोष्टि,षिविर एवं सम्मेलन में भाग लेने के लिए यदि मुझे आमंत्रण मिलता है तो हम निःसंदेह उन गोष्टियों एवं सम्मेलन में जाना चाहेंगे और जा रहे हैं। मॉंझी ने कहा कि 29 दिसंबर 2019 (रविवार) को किषनगंज जिले में एक संस्था ने सम्मेलन बुलाया है, जहॉं से मुझे भी आमंत्रण मिला है और मैं वहॉं जा रहा हॅूं। किषनगंज में आहूत सम्मेलन में कौन नेता आते हैं या नहीं आते हैं इससे मेरा कोई मतलब नहीं है। मैं हर ऐसे सम्मेलन या नेता को सम्मान करता हूॅं।