संवेदनशील रचनाकार का आत्मालाप है थलचर मौलिकता एक मिथ है: रमाकांत श्रीवास्तव

 


संवेदनशील रचनाकार का आत्मालाप है थलचर
मौलिकता एक मिथ है: रमाकांत श्रीवास्तव


 




प्रलेसं के रचना पाठ में कुमार अम्बुज की पुस्तक थलचर पर चर्चा और पूजा सिंह का कविता पाठ आयोजित


 


 


 प्रगतिशील लेखक संघ की भोपाल ईकाई की ओर से बुधवार को स्वराज भवन में रचना पाठ एवं पुस्तक चर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सबसे पहले युवा कवयित्री पूजा सिंह ने अपनी कविताओं का पाठ किया। इसके बाद वरिष्ठ लेखक कुमार अंबुज ने अपनी गद्य पुस्तक थलचर से कुछ अंशों का पाठ किया। संदीप कुमार ने थलचर पर अपना वक्तव्य पढा। इसी क्रम में कार्यक्रम के अध्यक्ष रमाकांत श्रीवास्तव ने पूजा की कविताओं और कुमार अंबुज की पुस्तक पर वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का संचालन अनिल करमेले ने किया।


 


कार्यक्रम के दौरान पूजा सिंह ने अपनी मां का कमरा, दादी की याद, मरने के बाद, मेरे देश में आदि कविताओं का पाठ किया।


संदीप कुमार ने थलचर पर अपनी बात रखते हुए कहा कि थलचर एक ऐसी किताब है जिसमें लेखक स्वयं कोई निष्कर्ष नहीं देता लेकिन किताब पाठक को एक नतीजे तक पहुंचने में मदद करती है। उन्होंने कहा कहा कि थलचर का कुछ हिस्सा डायरी से बना है, कुछ समसामयिक टिप्पणियों से तो कुछ हिस्से एक संवेदनशील रचनाकार का आत्मालाप हैँ। उन्होंने कहा कि तमाम इंदराज में कवि अंबुज की पर्यवेक्षक दृष्टि लगातार महसूस होती हैँ।


रमाकांत श्रीवास्तव ने पूजा सिंह की कविताओं की संवेदनशीलता और उनकी वैचारिक स्पष्टता की तारीफ की। थलचर पुस्तक पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि इसमें कवि कुमार अंबुज उभर कर सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि यह भले ही एक गद्य पुस्तक है लेकिन अंबुज इसमें यह इच्छा जताते हैं कि वह कवि का जीवन जीना चाहते हैं। वह यह भी मानते हैं कि यह बेहद कठिन हैं। उन्होंने हेमिंग्वे, नेरूदा समेत तमाम रचनाकारों के जीवन उद्धरणों के माध्यम से थलचर के विभिन्न हिस्सों को उद्घाटित किया। उन्होंने कहा कि मौलिकता एक भ्रम है।


इस कार्यक्रम में लज्जा शंकर हरदेनिया, राजेश जोशी, अमिताभ मिश्र, पलाश सुरजन, शैलेंद्र शैली, विजय कुमार, दीपेंद्र सिंह बघेल, विष्णु राजगढिया, संध्या कुलकर्णी, शहनाज, प्रतिभा समेत बडी संख्या में भोपाल के साहित्यकार व कवि ता प्रेमी उपस्थित थे।