संत का श्राप भी वरदान बन जाता है -संत श्री मुरलीधर जी महाराज

 


संत का श्राप भी वरदान बन जाता है -संत श्री मुरलीधर जी महाराज,



भोपाल , जम्बूरी मैदान , पिपलानी रोड पर चल रही नौ दिवसीय रामकथा महोत्सव के तृतीय दिवस में अहिल्या उद्धार के प्रसंग को सुनाते वक्त संत श्री मुरलीधर जी महाराज ने कहा कि कभी-कभी संत का श्राप भी वरदान बन जाता है जब विश्वामित्र प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को लेकर जनकपुर जा रहे थे दो रास्ते में एक विरान आश्रम देखा जब प्रभु राम ने गुरु विश्वामित्र से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि गौतम ऋषि का आश्रम है उनके श्राप से उनकी पत्नी अहिल्या पत्थर बनी हुई है और जब भगवान ने उस पत्थर से आंसू गिरते हुए देखे तो उन्होंने पांव से उस शीला को छुआ और वह शीला नारी बन गई और रोते रोते भगवान से कहने लगी हे भगवान यदि मेरे पति मुझे श्राप नहीं देते तो मैं आज अपनी आंखों से आपको देख नहीं पाती, इसके पश्चात भगवान ने अहिल्या से कुछ मांगने को कहा यहा आहिल्या जी बोली मैं आपसे क्या मांग सकती हूं मैं तो इतना ही मांगती हूं कि आपके चरणों की रज सदैव मिलती रहे इस अवसर पर इस मार्मिक प्रसंगों को सुनकर पंडाल में उपस्थित अनेक श्रोताओं की आंखें भर आई |



इससे पूर्व मानस पूजन के साथ आरंभ हुई इस राम कथा में पूज्य महाराज जी ने  चारो भाइयो के नामकरण की विस्तार पूर्वक कथा सुनाई तथा  भगवान शंकर के द्वारा प्रभु श्री राम के शिशु रूप के दर्शन करने के प्रसंग को सारगर्भित रूप में श्रोताओं के समक्ष रखा उसके पश्चात विश्वामित्र जी के द्वारा अवध में जाकर राजा दशरथ जी से प्रभु श्री राम और लक्ष्मण को मांगने के प्रसंग की व्याख्या की  इस अवसर पर उनके द्वारा गाया गया भजन राघव को मैं न दूंगा पर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया


 


जिस घर मे माताएं भोजन प्रसादी बनाती हैं उस घर मे कभी कलह नही होती । भगवान  धन्य वैभव एवं बाज़ार के मिष्ठान के भूखे नही होते भगवान को तो घर की माता वहन के हाथों  से बनी हुई रूखी,सुखी बनी प्रसादी ही ज्यादा पसंद है


 


 श्रीराम कथा आयोजन समिति के प्रबक्ता बलवंत सिंह रघुवंशी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज तीसरे दिन की कथा में भगवान के नामकरण एवं विद्या अर्जन संस्कार की कथा में व्यासपीठ  पर बिराजमान पूज्य मुरलीधर महाराज जोधपुर राजस्थान ने जीवन के गूढ़ रहष्य को प्रतिपादित करते हुए कथा स्थल पर उपस्थित मातृशक्ति को संकल्प दिलाया कि आज के बाद सभी महिलाएं घर पर स्वयं के हाथ से भोजन बनाएगी एवं प्रभु को भोग लगाकर ही ग्रहण करेगी कथा स्थल पर उपस्थित सभी महिलाओं ने हाथ उठाकर व्यासपीठ को वचन दिया। महाराज ने कहा कि जब आप डेढ़ घण्टे सुबह और डेढ़ घण्टे शाम को रसोई में रहकर भगवन नाम स्मरण करते हुए भोजन बनाएगी  तो माता वहन  के शरीर से जो पाजेटिव लेयर निकलती हैं वह पाजेविटी सकारात्मक उर्जा भोजन में प्रवेस कर सकेगी यही भोजन जब घर के लोग करेगे तो उनके भाव भी सकारात्मक हो ही जायेंगे एवं घर परिवार के रोज रोज के क्लेश दुराभाव दुश्मनी स्वमेव समाप्त हो जायेगे। आगे महाराज ने बताया कि जब अयोध्या नरेश महाराज दशरथ जी के पुत्रों के नामकरण हो रहा था महाराज दशरथ ने गुरु बशिष्ठ जी को कहा कि जो नाम गुरु द्वारा रखा जाएगा या सुझाया जाएगा वही नाम चारों पुत्रों के रखेगे इस प्रकार गुरुजी प्रथम पुत्र का नाम राम द्वतीय का भरत तृतीय का लक्ष्मण एवं चौथे पुत्र का नाम शत्रुघन रखा गया  जबकि आजकल पंडित या गुरु को बुलाएंगे जरूर परन्तु नाम स्वयं की मर्जी के या गूगल से सर्च करने में बड्डपन्न सम्मान समझते हैं जो गलत है गलत है । कथा में आगे भगवान जी की शिक्षा दीक्षा के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि आज की तरह कान्वेंट या निजी या दून या हावर्ड स्कूल में पढ़ने नही भेजा आजकल तो चाहे गुजाइस नही हो आय कम होगी तब भी बड़े अग्रेजी स्कूल में पढ़ने भेजेंगे लेकिन महाराज दशरथ जी ने चारों पुत्रों को कहाँ भेजा तब पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि " *गुरु गृह गए पढ़न रघुराई। अल्प काल सब विद्या आई।। देखिये गुरु की महिमा आशीर्वाद स्थान का महत्व की सभी विद्या अल्प काल मतलब थोड़े समय मे ही सभी विधाओं में निपुण हो गए ।* और श्री मुरलीधर महाराज ने व्यासपीठ से बताया कि  आजकल एक ही क्लास में 3-3 वर्ष  पड़े रहते हैं क्योंकि इसमें गुरु के प्रति लगाव,प्रेम सम्मान नही रहा है सिर्फ किताबी ज्ञान एवं रटन्तु बिद्या पाकर कक्षा उत्तीर्ण करना ही ध्येय हो गया है इससे संस्कार,संस्कृति का कोई दूर दूर तक कोई  नाता नही रहता है  मुरलीधर जी ने आगे कहा कि भगवान जी मन,वचन, कर्म से प्रसन्न होते हैं वह धन दौलत के भूखे नही होते हैं साथ ही महाराज ने कहा कि मानव की रूपयों पैसा की भूख कभी नही मिटती है उन्होंने अंबानी का उदाहरण देते हुए कहा कि जो व्यक्ति 5000 हजार करोड़ के बंगले में रहता है एवं जो देश का सबसे ज्यादा दौलतमंद है फिर भी रुपयों पैसों की भूख कभी खत्म नही होगी ये तो बढ़ती जाएगी परन्तु यही यदि बदलाव कर इसी भूख को भगवत नाम के हरिकीर्तन में लगा लिया जाय तो सभी भूख स्वतः ही समाप्त हो जाएगी।आज कथाश्रवन करने बालों में पूज्य गौरीशंकर शर्मा महन्त द्वारिका धीश मंदिर शमशाबाद,श्री वीरेन्द्र सिंह रघुवंशी विधायक कोलारस शिवपुरी,श्री एन के सिंह सेवानीवर्ती मुख्य अभियंता PHE,हरिशंकर रघुवंशी , मुख्य्यजमान द्वय श्री रमेश रघुवंशी एवं हीरालाल गुर्जर समाजसेवी श्री मुकेश शर्मा घनशयाम सिंह रघुवंशी बरेली रायसेन,ललित पांडेय, दिलीप दुबे, मिथलेश गौर, महेश मालवीय,सरदार पम्मी सिंह,अनिल अग्रवाल (सराफा चौक ) राधे राधे महाराज, उदितनारायण शर्मा,गोकुल कुशवाहा, श्रीमती भगवती रघुवंशी, रीना गुर्जर,दीपिका रघुवंशी,श्रीमती रानी,शशि सहित हजारों श्रोता उपस्थित थे।