ग्रामीण समृद्धि हेतु युवाओ  का शहरों की ओर पलायन रोकने  तथा छुट्टा पशुओं से निजात पाने के लिए  मुंबई स्थित  स्वयंसेवी संस्था समस्त महाजन उत्तर प्रदेश के गोशालाओं को प्रशिक्षित कर सहयोग देगा - "गौशाला -गोदनामा  परियोजना" प्रारंभ किया जाएगा : गिरीश जयंतीलाल शाह

ग्रामीण समृद्धि हेतु युवाओ  का शहरों की ओर पलायन रोकने  तथा छुट्टा पशुओं से निजात पाने के लिए  मुंबई स्थित  स्वयंसेवी संस्था समस्त महाजन उत्तर प्रदेश के गोशालाओं को प्रशिक्षित कर सहयोग देगा - "गौशाला -गोदनामा  परियोजना" प्रारंभ किया जाएगा : गिरीश जयंतीलाल शाह


रिपोर्ट: डॉ. आर. बी. चौधरी



(मीडिया प्रमुख समस्त महाजन/विज्ञान लेखक एवं पत्रकार,
पूर्व मीडिया प्रमुख एवं प्रधान संपादक- एडब्ल्यूबीआई, भारत सरकार)


10  नवंबर 2019, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)


राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता  संस्था समस्त महाजन के मैनेजिंग ट्रस्टी एवं  भारत सरकार के अधीन कार्यरत भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड के सदस्य गिरीश जयंतीलाल शाह  ने पत्रकार वार्ता में  बताया कि गुजरात ,राजस्थान एवं महाराष्ट्र के बाद उनकी संस्था समस्त महाजन अब उत्तर प्रदेश में कार्य करेगी. समस्त महाजन पिछले दो दशकों से गौ संवर्धन- संरक्षण की दिशा में कार्य करते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर कटिबंध है. गिरीश जयंतीलाल शाह के अनुसार यदि ग्रामीण संपन्नता को वापस लाना है तो वृक्षारोपण, जल संरक्षण और देसी गायों के संरक्षण -संवर्धन से ही सफलता अर्जित की जा सकती है और दूसरा कोई रास्ता नहीं है क्योंकि प्रकृति हमसे नाराज हो गई है.


उन्होंने बताया कि पिछले दो दशकों से गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के कई गांवों को गोद लेकर उन्हें   प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया जा रहा है. इससे जहां जल समस्या का समाधान मिला है वहीं पर सड़कों पर घूमती हुई बेसहारा गायों के माध्यम से गांव में गौशाला खोलकर उन्हें स्वावलंबी बनाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के कार्य में आशातीत सफलता मिली है. शाह का मानना है इस पद्धति से अगर गौ संरक्षण -संवर्धन का काम किया जाए तो खेती-बाड़ी से प्राप्त होने वाले उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ेगी और उनका स्वाद भी बढ़ेगा तथा बाजार में अच्छा मूल्य मिलेगा.  इतने ही नहीं आज स्वस्थ भारत- और स्वच्छ भारत जैसे अभियान के लिए यह पद्धति एक वरदान साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण  से उत्पन्न जलवायु परिवर्तन का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य तथा फसलों के उत्पादन  एवं उसकी गुणवत्ता पर पड़ा है जिसका नतीजा है कि उत्पादन लागत लागत सीमा पार कर गई है और किसान टूट गए हैं. इसलिए खेती-बाड़ी और पशुपालन के पुराने पद्धति को वापस लाने की जरूरत है.


शाह ने बताया कि जहां देश के कई हिस्सों में गोबर गोमूत्र के अनेक उपयोग किए जा रहे हैं. कैंसर रोकने वाली औषधियां  तथा अन्य उत्पाद बनाई और बेची जा रही हैं. वही देसी गायों से प्राप्त होने वाले दूध और घी का बिक्री कर लोग भारी मुनाफा कमा रहे हैं. गिरी गाय की घी इस समय बाजार में 4000 से 5000  रुपए प्रति किलो बिक रहा है, वही  देसी गाय से प्राप्त दूध जिसे ए-2 मिल्क के नाम से जाना जाता है ,उसका  मेट्रो शहरों शहरों के ऑर्गेनिक आउटलेट- बाजार में ₹80 से ₹100 प्रति लीटर है. उन्होंने यह भी बताया कि कई राज्यों में गोबर गैस से प्राप्त होने वाले मीथेन को द्रवित किया जा रहा है ताकि उसका प्रयोग सीएनजी  से संचालित यंत्रों में किया जा सके और गोबर गैस अन्य प्राकृतिक गैस का विकल्प साबित हो सके.शाह के अनुसार देशभर के गोचर भूमि को संरक्षित और सुरक्षित करते हुए बहु वर्षीयघास उत्पादन कार्यक्रम को चलाया जाए तो पशुओं के चारे की समस्या सुलझा जा सकती है.उन्होंने बताया कि इससे संबंधित वह राजस्थान में अनेक कार्यक्रम चला रहे हैं.


गुजरात के धर्म धर्माज गांवका उदाहरण देते हुए बताया कि एशिया का पहला ऐसा गांव हैजो पशुओं के लिए चारा उत्पादन कर  गांव को स्वाभिमानी एवं स्वावलंबी बनने का एक खिताब  मिला हुआ है.धर्मराज गांव के पास अपना बैंक बैलेंस है.गांव में पुलिस स्टेशन नहीं है और आधे दर्जन से अधिक राष्ट्रीयकृत बैंक है.बच्चों के खेलने के लिए पार्क तथा स्विमिंग पूल की व्यवस्था है.आज तक गांव में कभी कोई चोरी -डकैती नहीं हुई है.                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                               .                                                                                                                                                                                                                        शाह का मानना है कि देश में छुट्टा पशुओं के सबसे बड़ी समस्या है वह चारे के अभाव के कारण है.उन्होंने चिंता व्यक्त किया कि आज पंजाब और हरियाणा के किसान  धान की पराली और गेहूं के अवशेषों को मशीन की कटाई के बाद जला देते हैं जिससे प्रदूषण की विकराल समस्या पैदा हो रही है. ऐसे कार्यों में सामाजिक संस्थाओं को सरकार का सहयोग करना चाहिए और किसानों को इसके दुष्परिणामों का आभास होना अत्यंत आवश्यक है.शाह ने कहा कि गोपाष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण खुद गायों को लेकर जंगलमें चराने गये थे,यदि भारत के सभी गौचर भूमि को विकसित किया जाय और जंगलो में  पशुओं को चराने की छुट दी जाय तो दूध - घी की नदियां बहाना आरंभ हो जाएगा. लोगोंको रोजगार मिलने से गांव की आर्थिक समृध्दि बढ़ेगी और हमारे  प्रधानमंत्री का पांच ट्रिलियन की इकोनॉमी का सपना साकार होगा


वाराणसी के पत्रकार संघ, पर पड़ाकर भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में  विश्व हिंदू महासंघ के कई पदाअधिकारी मौजूद थे  जिसमें राजीव शरण - वाराणसी महानगर अध्यक्ष; विपिन विश्वकर्मा- महासचिव, राहुल गुप्ता -महामंत्री एवं संतोष सोनकर - महा महानगर प्रभारी मौजूद थे और उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की समस्त महाजन की इस परियोजना में मुख्यमंत्री जी की अत्यधिक रुचि है . उन्होंने समस्त महाजन को  विश्व हिंदू महासंघ की ओर से उत्तर प्रदेश में कार्य करने का स्वागत किया  गया है. 


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