अधिकारियों की रखैल बनी सूचना के अधिकार की व्यवस्था, आरटीआई एक्ट नियमों का हो रहा खुल्लमखुल्ला मजाक !

अधिकारियों की रखैल बनी सूचना के अधिकार की व्यवस्था, आरटीआई एक्ट नियमों का हो रहा खुल्लमखुल्ला मजाक !


 


आरटीआई एक्टिविस्ट ए.एल. द्विवेदी के एक गंभीर मामले में आधी अधूरी जानकारी देने पर मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग ने लोक सूचना अधिकारी एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी  को किया तलब


 



 


 सूचना के अधिकार अधिनियम का लगता है  सरकारी अधिकारियों  द्वारा मजाक बनाया जा रहा है  समय सीमा पर पूर्ण जानकारी नहीं मिलने के कारण कई बार आवेदकों को परेशान होना पड़ता है


 इसी कड़ी में फिर एक बार स्वास्थ्य सेवा के कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायसेन के लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपील अधिकारी संचालक क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल का एक मामला सामने आया है
 जिसमें आवेदक ए.एल. द्विवेदी ने लोक सूचना अधिकारी को 25 10 2017 को एक आवेदन प्रस्तुत कर भ्रष्टाचार और जनहित से जुड़ी हुई जानकारी मांगी गई थी 


लेकिन लोक सूचना अधिकारी ने समय सीमा पर पूर्ण जानकारी ना देते हुए लगातार आवेदक को गुमराह किया 


इसके बाद आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी जो कि संचालक क्षेत्रीय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल के अंतर्गत आता है
 उनको प्रथम अपील 06 12 2017 को प्रस्तुत की लेकिन प्रथम अपील अधिकारी ने भी अपील की  नियमानुसार सही तरीके से सुनवाई ना करते हुए आवेदक को समय-सीमा में पूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं कराई


 जिससे यह प्रतीत होता है कि लोकहित और भ्रष्टाचार से जुड़ी हुई जानकारी को सरकारी अधिकारी लगातार छुपाते रहते हैं
और आवेदकों को कार्यालय में बुलाकर या उनको पत्राचार करके मानसिक रूप से परेशान करते हैं
कई मामलों में विभागों  द्वारा अनावश्यक पत्राचार भी किया जाता है और पूर्ण जानकारी भी समय सीमा पर नहीं दी जाती है इसी मामले में मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी स्वास्थ को सुनवाई हेतु तलब किया है


 अब देखना यह है कि क्या प्रकरण में सुनवाई होती है और क्या आवेदक को पूर्ण जानकारी उपलब्ध हो पाती है


 क्योंकि  प्रकरण 2017 वर्ष का है जिसे लेकर पूरे 2 साल बीत चुके हैं और चूंकि मामला लोकहित से जुड़ा हुआ और भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है अब देखना यह है कि क्या मुख्य सूचना आयुक्त ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर सस्ति आरोपित करते हैं या फिर सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत इन्हें दंड आरोपित करते हैं यह तो प्रकरण की सुनवाई के उपरांत ही होगा ।


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