समानतावादी संविधान बनाने की साधना ने अम्बेडकर को महान बनाया:साधना भारती

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समानतावादी संविधान बनाने की साधना ने अम्बेडकर को महान बनाया:साधना भारती

अध्यादेश लाकर पिछड़े वर्ग को लोकसभा सीटों में आरक्षण दिलाएं मोदी:साधना भारती


 



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सामाजिक एकता मंच द्वारा 30 नवम्बर 2019 को आमगांव में आयोजित सविधानोत्सव में बतौर मुख्य मार्गदर्शक बोलते हुए विश्व की सबसे कम उम्र की प्रथम राजनैतिक स्टार प्रचारक होने का गौरव प्राप्त कर चुकीं विश्वविदुषी लोधी साधना भारती जी ने कहा कि सब आदमी साधारण पैदा होते हैं।किसी आदमी को साधारण से असाधारण बनाता है उसका कर्म उसका ब्यक्तित्व उसका ब्यवहार उसकी अडिगता उसकी सरलता उसके उद्देश्य उसके उद्देश्यों की ब्यापकता और उसके प्रति प्रतिबद्धता।ऐसे ही असाधारण महान ब्यक्तित्व के धनी थे बाबा साहब भीमराव आंबेडकर।धर्मनिरपेक्षतावादी,मानवतावादी और समानतावादी सविधान बनाने की साधना ने बाबा साहिब भीम राव आम्बेडकर को साधारण से असाधारण बना दिया।महान बना दिया।बाबा साहब ने 2 बर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को भारत का संविधान देश के प्रथम राष्ट्रपति और संविधान सभा के अध्यक्ष डा.राजेन्द्र प्रसाद को सौंपा था।इसलिए 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।बाबा साहब द्वारा निर्मित संविधान भारत में 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।इसलिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।26 नवम्बर 2019 को संविधान दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति के दुरुयोधनों और दुशासनों से महाराष्ट्र में संविधान की आत्मा का चीरहरण होने से बचाया।अब महाराष्ट्र में बड़े धर्म संकट के बाद संविधान संवत नई सरकार का गठन हो गया है।आशा करते हैं नई सरकार  महाराष्ट्र के हरसंभव विकास के लिए काम करेगी।महाराष्ट्र के बहुमत के साथ छल करते हुए हिटलरशाही ने बाबा साहब के संविधान की मर्यादा का चीरहरण कर डाला था।भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान दिवस के अवसर पर महाराष्ट्र में सरकार गठन हेतु सटीक निर्णय देकर संविधान की लाज बचाई।मगर संविधान का चीरहरण करने वालों को आज तक शर्म नहीं आई।न्यायपालिका की भांति विधायिका को भी भविष्य में अपने कर्तब्य ईमानदारी से निभाने होंगे।तभी बाबा साहब द्वारा बनाये गए संविधान की आत्मा अजर अमर रह सकती है।


विश्वशान्ति मानव एकता मिशन की मुख्य संयोजक विश्वविदुषी लोधी साधना भारती जी ने कहा कि हजारों बर्षों से वर्ण ब्यवस्था और जाति पाँति के झंझटों में फंसे पिछड़े शोषित पीड़ित दलित समाज को सम्मान से जीने के लिए बाबा साहब ने संविधान में समानता का अधिकार दिलाया।दलितों आदिवासियों को सरकारी नौकरियों सहित लोकसभा और विधानसभाओं में आरक्षण  दिलाया।पिछड़ों,दलितों,आदिवासियों के साथ साथ बाबा साहब देश की आधी आबादी महिलाओं को भी बराबरी का दर्जा दिलाना चाहते थे।आजादी से पहले हिन्दू महिलाओं को संपति का अधिकार नहीं था।हिन्दू पुरुष कितनी भी शादियां कर सकता था मगर विधवा होने पर भी महिला को पुनः शादी करने का अधिकार नहीं था।पति कितना भी क्रूर हो पत्नी को तलाक देने का अधिकार भी नहीं था।बाबा साहब चाहते थे कि पिता की संम्पति में बेटों के साथ साथ बेटी को भी बराबर का हिस्सा मिलना चाहिए।महिलाओं को समाज में बराबरी और सम्मान दिलाने के लिए हिन्दू महिलाओं के हित में बतौर स्वतन्त्र भारत के प्रथम कानून मंत्री बाबा साहब ने सन 1951 में हिन्दू कोड बिल संसद में पेश किया।जिसका संसद के अंदर और बाहर भारी विरोध हुआ।कट्टरपंथी हिन्दू एक शूद्र कानून मंत्री के आव्हान पर हिन्दू महिलाओं को बराबरी के अधिकार दिलाना नहीं चाहते थे।हिन्दू कोड बिल के विरोधियों ने कहा कि संसद में अभी जनता के चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं।इसलिए हिन्दू कोड बिल को संसद में पास  कराने का किसी को कोई नैतिक अधिकार नहीं है।हिन्दू कट्टर पंथियों के भारी विरोध के चलते सन 1951 में हिन्दू कोड बिल पास नहीं हो पाया।विशेषकर नारी सम्मान की खातिर हिन्दू कोड बिल पास न होने की प्रमुख वजह से बाबा साहब अम्बेडकर ने कानून मंत्री के पद से त्याग पत्र दे दिया।


मात्र ढाई बर्ष की उम्र से लेकर आज तक पिछले लगभग 23 बर्षों में हजारों जनसभाएं और रैलियां सम्बोधित कर चुकीं विश्वविदुषी लोधी साधना भारती जी ने कहा कि सन 1952 में स्वतन्त्र भारत का प्रथम लोकसभा चुनाव हुआ जिसमें अम्बेडकर लोकसभा चुनाव हार गए।अम्बेडकर की अनुपस्थिति में सन 1955 के दौरान संसद में हिन्दू कोड बिल को कई टुकड़ों में पेश किया गया आखिरकार हिन्दू महिलाओं को कुछ हद तक ही सही बाबा साहब की वजह से कानूनन बराबरी का अधिकार तो मिला।बाबा साहब दलितों पिछड़ों को इंसाफ दिलाने के साथ साथ हिन्दू महिलाओं को भी शोषण से मुक्ति दिलाने चाहते थे।


विश्वशान्ति मानव एकता मिशन की मुख्य संयोजक विश्वविदुषी लोधी साधना भारती जी ने कहा कि भारत में हिन्दू,मुस्लिम सिख,ईसाई,जैन,बौद्ध आदि धर्मों के लोग रहते हैं।अगर हम किसी ब्यक्ति से पूछे आप किस धर्म के अनुयाई हैं।उसके द्वारा जैन,बौद्ध,सिख,ईसाई और मुस्लिम बताने पर हम सन्तुष्ट हो जाते हैं।अगर कोई ब्यक्ति हमें बताता है कि वह हिन्दू धर्म का अनुयायी है तो हम तब तक सन्तुष्ट नहीं हो पाते जब तक उसकी जाति पता नहीं लगा लेते।हिन्दू का अगर किसी अन्य मजहब से भारी विवाद हो जाये तो हिन्दू एकता दिखाई देगी।मगर किसी सवर्ण हिन्दू का किसी पिछड़े दलित हिन्दू के साथ भारी विवाद हो जाये और गलती भी सवर्ण हिन्दू की ही हो तो हिन्दू एकता कोसों दूर तक नजर नहीं आएगी।तब हिन्दू एकता जातिवाद में बिखर जाएगी।सही मायने में हिन्दू एकता तभी होगी जब हिन्दू धर्म से जातिवाद की धारणा पूर्णतः समाप्त हो जाएगी।जब तक जातिवाद जिंदा रहेगा तब तक न हिन्दू एकता होगी और न समाज में समानता का संचार सही मायने में हो पायेगा।


विश्वशांति मानव एकता मिशन की मुख्य संयोजक विश्वविदुषी लोधी साधना भारती जी ने कहा कि वर्ण ब्यवस्था में ब्राह्मण का कार्य पूजा क्षत्रिय का कार्य रक्षा वैश्य का कार्य ब्यापार  और शूद्र का कार्य सेवा कर्म के आधार पर निर्धारित किया गया था।मगर बाद में वर्ण ब्यवस्था का आधार कर्म की जगह जन्म हो गया।और हिन्दू हजारों जातियों में विभाजित हो गया।हजारों बर्षों तक शूद्र अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रहकर सर्वणों की सेवा में लगे रहे।शूद्रों में भी दो वर्ग थे एक टचेबल और दूसरा अनटचेबल।अनटचेबल की स्थिति और भी दयनीय थी।जिन्हें अनुसूचित जाति कहते हैं।दलित कहते हैं।और एक वर्ग वह भी था जो जंगलों में कन्द मूल फल फूल खाकर गुजारा करता था जिसे अनुसूचित जनजाति कहते हैं।आदिवासी कहते हैं।बाबा साहब ने दलितों और आदिवासियों को सरकारी नौकरियों सहित लोकसभा और विधान सभा सीटों में साढ़े बाईस प्रतिशत आरक्षण दिला दिया।लोकतांत्रिक ब्यवस्था में कुछ हद तक दलितों आदिवासियों को न्याय मिला।मगर टचेबल शूद्र अर्थात पिछड़ा वर्ग आज भी न्याय के लिए भटक रहा है।सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत आरक्षण होने के बाद भी नौकरियां नहीं मिलती।क्रीमी लेयर की कैंची अलग से चलाई जाती है।पिछड़ों को सही मायने में न्याय तभी मिलेगा जब देश में सन 2021 की जनगणना जाति के आधार पर हो।और जाति गत जनगणना के आधार पर जिसकी जितनी सख्या भारी उसकी उतनी भागेदारी के हिसाब से सभी अगड़ों पिछड़ों दलितों आदिवासियों को सरकारी नौकरियों सहित लोकसभा और विधान सभा सीटों में आरक्षण दिया जाए।तभी सही मायने में सबके साथ न्याय हो सकेगा।वरना लोकतांत्रिक ब्यवस्था में भी 15 प्रतिशत अगड़े 85 प्रतिशत पिछड़ों दलितों और आदिवासियों के अधिकारों का दोहन करते रहेंगे।


विश्वशान्ति मानव एकता मिशन की मुख्य संयोजक विश्व विदुषी लोधी साधना भारती जी ने कहा कि वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी देश के सबसे ताकतवर नेता माने जा रहे हैं।मोदी जी संसद में अध्यादेश लाकर धारा 370 को जम्मू कश्मीर से हटवाते हैं।बीजेपी के लोग मोदी है तो मुमकिन है का नारा लगाते हैं।मोदी जी अध्यादेश लाकर पिछड़े वर्गों को उनकी आबादी के आधार पर लोकसभा सीटों में आरक्षण कब दिलाओगे।मोदी है तो मुमकिन है के नारे को चरितार्थ करके पिछड़ों को कब दिखाओगे।या फिर केवल चुनाव के समय वोट बटोरने के लिए ही अपने आप को पिछड़े वर्ग का नेता बताओगे।मोदी जी आखिर देश के बहुमत पिछड़ों को न्याय कब दिलाओगे।
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